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चाणक्य नीति: इन परिस्थितियों में गलती किसी से होती है और सजा किसी को मिलती है

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आचार्य चाणक्य ने अपनी कुशल रणनीति और राजनीति से एक साधारण बालक चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया था। आचार्य चाणक्य ने जीवन भर कई विषयों का अध्ययन किया और लोगों को सही राह दिखाई। आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़े कई पहलुओं की समस्याओं का हल अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में बताया है। आज भी चाणक्य की ये नीतियां लोगों को जीवन जीने का तरीका सिखाती हैं। चाणक्य की नीतियां वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। एक श्लोक के जरिए चाणक्य ने नीति शास्त्र में बताया है कि किन परिस्थितियों में किसी के गलती की सजा किसी दूसरे को मिलती है-

राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः
भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।

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चाणक्य कहते हैं कि जब किसी राष्ट्र की जनता सामूहिक रूप से गलती करती है तो उसका जिम्मेदार राजा होता है। राजा अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर पाता है, जिसके कारण जनता सही मार्ग से भटक जाती है। जनता के कृत्य की जवाबदेही राजा की हो जाती है। इसलिए राजा को हमेशा इस बात पर नजर लगाकर रखनी चाहिए कि जनता कुछ गलती न करें।

राजा के गलत फैसलों के जिम्मेदार सलाहकार या पुरोहित होते हैं। इसलिए इन दोनों का काम है कि राजा को सही जानकारी दें और गलत फैसलों का विरोध करें।

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 चाणक्य कहते हैं कि जब पत्नी कोई गलती करती है तो उसकी जवाबदेही पति की भी होती है। जब पति कोई गलती करता है तो उसकी गलतियों की सजा पत्नी को भी भुगतनी पड़ती है। पति-पत्नी की एक-दूसरे के प्रति जवाबदेही होती है। इसलिए दोनों को एक-दूसरे को हमेशा सही सलाह ही देनी चाहिए।

नीति शास्त्र के अनुसार, जब गुरु अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं करता है तो शिष्य गलत काम करने लगता है। शिष्य के गलत कामों की जवाबदेही गुरु की होती है। इसलिए गुरु को हमेशा सही मार्ग अपने शिष्यों को दिखाना चाहिए।

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