गरीबों को बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए PDS के जरिए सस्ता खाद्य दें: एसईए

0
13
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

तेल व्यापारियों के प्रमुख संगठन एसईए ने सरकार को खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों से गरीबों को राहत देने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए रियायती कीमतों पर खाद्य तेलों को वितरित करने का सुझाव दिया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार को जिंस एक्सचेंजों पर तिलहन और खाद्य तेलों के कारोबार में सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने का भी सुझाव दिया है और अनिवार्य डिलीवरी वाले अनुबंधों के कारोबार अपनाने पर जोर दिया है।
     
इसके अलावा, मुंबई स्थित इस व्यापार निकाय ने कहा कि सरकार को निचले स्तर पर शुल्क को स्थिर करना चाहिए, आयात पर कृषि-उपकर कम करना चाहिए और सीमा शुल्क में कमी के उपायों पर फिर से विचार करना चाहिए। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे को लिखे पत्र में एसईए अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, ”पिछले कुछ महीनों में हमने न केवल खाद्य तेलों में बल्कि दुनिया भर में सभी वस्तुओं की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। अभूतपूर्व वृद्धि के कारणों पर कई बार चर्चा की गई है।

रतन टाटा ने फिर दिखाई दरियादिली, Tata Steel के कर्मचारी की Covid से मौत पर परिवार को मिलेगी रिटायरमेंट तक सैलरी
    
 उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व वृद्धि के कारणों में चीन की ओर से खरीदारी, प्रोत्साहन राशि, पाम और सोया उत्पादक क्षेत्रों में ला नीना मौसम की समस्याएं, कोविड-19 के कारण मलेशिया में श्रमिकों की समस्याएं, इंडोनेशिया में बायो-डीजल पर आक्रामक रूप से जोर और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ब्राजील में सोयाबीन तेल से बनने वाले अक्षय ईंधन आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि कारोबार से तेजड़ियों के पीछे हटने के संकेत हैं, लेकिन समय ही बताएगा कि यह ‘अल्पकालिक’ है या स्थायी होने वाला है।
     
हालांकि, एसईए अध्यक्ष ने कहा कि अल्पावधि में मूल्य वृद्धि से निपटने के लिए, सरकार को पीडीएस के माध्यम से खाद्य तेलों पर 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम की ‘सब्सिडी देनी चाहिए।
मौजूदा समय में केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को पीडीएस के माध्यम से 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर केवल खाद्यान्न वितरित करती है। जिस एक्सचेंजों पर तिलहन/खाद्य तेलों के कारोबार में सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने की जरूरत पर जोर देते हुए चतुर्वेदी ने कहा, ”जब तेल की कीमतें 80-90 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थीं। कमोडिटी एक्सचेंज द्वारा चार प्रतिशत उतार-चढ़ाव की अनुमति थी … अब जब कीमतें व्यावहारिक रूप से दोगुनी हो गई हैं, तो हमें दिन के दौरान केवल दो प्रतिशत उतार-चढ़ाव की ही अनुमति देनी चाहिए। इससे सट्टेबाजी पर अंकुश लगेगा। एक्सचेंज को अनिवार्य डिलीवरी वाले अनुबंधों में व्यापार की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि इसके परिणामस्वरूप केवल गंभीर खिलाड़ी ही बाजार में सक्रिय रह सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘बाजार के सामान्य हो जाने पर हम इस पर फिर से विचार कर सकते हैं क्योंकि सट्टेबाज भी जिंस एक्सचेंजों का एक अभिन्न हिस्सा हैं।’
     
एसईए ने भी निचले स्तरों पर खाद्य तेलों पर शुल्क मूल्य को स्थिर करने की सिफारिश की। ”हमारे मोटे तौर की गणना के अनुसार शुल्क मूल्य में 200 डालर प्रति टन की कमी से लगभग 5,000 रुपये प्रति टन की राहत मिलेगी। खाद्य तेलों के आयात शुल्क के बारे में, एसईए ने कहा कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के साथ, खरीफ तिलहन रोपाई समाप्त होने के बाद ही शुल्क में कमी के उपायों पर फिर से विचार किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फिलहाल हमारे तिलहन किसानों को कोई नकारात्मक संकेत नहीं जाये।”

LIC पॉलिसीधारक हो जाएं सावधान, बचें इस कॉल फ्रॉड में फंसने से वरना डूब जाएगा आपका पैसा
     
एसईए ने सरकार से आवश्यक वस्तु अधिनियम को लागू करने से रोकने का भी अनुरोध किया क्योंकि यह आपूर्ति श्रृंखला को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। एसईए ने कहा कि दीर्घावधि में सरकार को न केवल एक मिशन मोड पर तिलहन की खेती को बढ़ाना चाहिए, बल्कि कीमतों को स्थिर करने के लिए खाद्य तेलों का एक बफर स्टॉक भी बनाना चाहिए। ये सुझाव भारत में खाद्य तेल की कीमतों में ‘असामान्य वृद्धि पर चर्चा के लिए 24 मई को केंद्रीय खाद्य सचिव द्वारा बुलाई गई बैठक से पहले भी रखे गए थे।

संबंधित खबरें

Source link

  • टैग्स
  • Extractors Association of India
  • Hindi Business News Update
  • hindi news
  • Hindustan
  • latest business news
  • latest business updates
  • news in hindi
  • pds
  • Public Distribution System
  • एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया
  • पीडीएस
  • बिजनेस की ताजा खबर
  • बिजनेस की लेटेस्ट अपडेट
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  • हिंदी बिजनेस न्यूज अपडेट
  • हिन्दुस्तान
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp
पिछला लेखCredit Card का बिल चुकाने में हो रही है दिक्कत? अपनाएं ये 5 तरीके
अगला लेखSBI रिसर्च रिपोर्ट में GDP में गिरावट का अनुमान, 2020-21 की चौथी तिमाही में 1.3% रह सकती है वृद्धि दर
Team Hindi News Latest

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here