12 से 15 साल के बच्चों को लग सकती है फाइजर की खुराक,  यूरोपीय नियामक ने की सिफारिश

0
31
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

बर्लिनः यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए) ने फाइजर और बायोएनटेक की ओर से विकसित कोरोना वायरस रोधी टीकों को 12 से 15 साल तक के बच्चों को लगाये जाने की शुक्रवार को सिफारिश की. यह फैसला महामारी के दौरान इस महाद्वीप में पहली बार बच्चों को टीका लगाने का रास्ता खोल रहा है.


फाइजर-बायोएनटेक के टीके को 27 देशों के यूरोपीय संघ में सबसे पहले मंजूरी मिली थी और दिसंबर में 16 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को लगाने के लिए इसे लाइसेंस प्रदान किया गया था. इन देशों में करीब 17.3 करोड़ लोगों को टीके की खुराक दी जा चुकी है.


टीके की समीक्षा करने वाली ईएमए के प्रमुख मार्को कावलेरी ने कहा, ‘‘एक सुरक्षित और प्रभावी टीके की सुरक्षा किशोर आबादी को प्रदान करना महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है.’’ उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के नियामक को बच्चों और किशोरों के लिए टीके के इस्तेमाल को मंजूरी देने के लिए आवश्यक आंकड़े मिले थे और उन्होंने इसे कोविड-19 के खिलाफ अत्यंत प्रभावशाली पाया है.


अमेरिका में 2,000 किशोरों पर एक अध्ययन किया गया और परिणाम सामने आये. उन्होंने कहा, ‘‘टीका काफी सुरक्षित पाया गया और इस आयुवर्ग में भी टीके के दुष्प्रभाव वैसे ही थे जैसे कम उम्र के वयस्कों में देखे गये और कोई चिंता की बात नजर नहीं आई.’’ उन्होंने बताया कि इस फैसले पर यूरोपीय आयोग की मुहर लगना जरूरी है और अलग-अलग देशों के नियामकों को तय करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका लगाया जाएगा या नहीं.


इससे पहले कनाडा और अमेरिका के नियामकों ने पिछले महीने इसी तरह का फैसला किया था. विकसित देश अपनी अधिक से अधिक आबादी को टीका लगाने की दिशा में काम कर रहे हैं. अनुसंधानकर्ता अगले दो साल तक बच्चों में टीके के दीर्घकालिक प्रभाव पर नजर रखेंगे.


दुनियाभर में कोविड-19 के ज्यादातर टीकों को वयस्कों, गंभीर बीमारियों के जोखिम वाले लोगों के लिए इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी है. लेकिन सभी उम्र के बच्चों को टीका लगाने से संक्रमण के प्रकोप की रोकथाम में मदद मिलने की बात मानी जा रही है. कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है किशोरों के गंभीर रूप से बीमार नहीं होने के बाद भी वे वायरस को फैला सकते हैं.


अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार अमेरिका में कोरोना वायरस के मामलों में 14 प्रतिशत संक्रमित बच्चे थे और कम से कम 316 बच्चों की संक्रमण से मृत्यु हो गयी. बच्चों के टीकाकरण से वहां अधिकारियों को स्कूलों को फिर से खोलने का विश्वास बढ़ा है.


हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमीर देशों के उनकी किशोर तथा कम जोखिम वाली आबादी को टीका लगाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इसके बजाय अत्यंत सीमित संख्या में कोविड-19 के टीकों को गरीब देशों से साझा किया जाना चाहिए ताकि वे भी अपने स्वास्थ्य कर्मियों और कमजोर वर्गों को सुरक्षित कर सकें.


अन्य टीका निर्माता कंपनियां भी बच्चों में अपने टीकों के प्रभाव का अध्ययन कर रही हैं. मॉडर्ना ने इस सप्ताह कहा था कि उसके टीके की खुराक 12 साल तक के बच्चों को सुरक्षा प्रदान करती है. उसने कहा कि वह अमेरिका के खाद्य और औषधि प्रशासन को टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए अगले महीने आवेदन देगी. एक अन्य अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने अपने टीके का 12 से 17 साल के बच्चों के लिए परीक्षण शुरू कर दिया है. मॉडर्ना और फाइजर-बायोएनटेक दोनों 11 साल से लेकर छह महीने तक के छोटे बच्चों में टीकों का परीक्षण कर रही हैं.  


इसे भी पढ़ेंः
दिल्ली में 24 घंटे में 1141 कोरोना केस की पुष्टि, सोमवार से शुरू होगी अनलॉक की प्रक्रिया


चक्रवात यास: पीएम मोदी ने प्रभावित राज्यों के लिए 1000 करोड़ रुपये की राहत का एलान किया



Source link

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here