केंद्र सरकार ने ऑटो सेक्टर के लिए उत्पादन आधारित इंसेंटिव यानी पीएलआई स्कीम पर काम तेज कर दिया है। सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक मूल पीएलआई स्कीम में तीन सेा चार छोटी स्कीमें रहेंगी जो अलग-अलग क्षेत्रों में घरेलू उत्पादकों से खरीद को प्रोत्साहित करेंगी।
इस स्कीम के जरिए सरकार वैश्विक और घरेलू उद्योगों को देश में कारोबार लगाने और ऑटो क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। सरकार ने इसके लिए 57,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इससे बड़े पैमाने पर देश में ऑटोमोबाइल और कंपोनेंट से जुड़ी नई यूनिटें लगेंगीं साथ ही पुरानी में क्षमता विस्तार की भी भरपूर गुंजाइश है। मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सरकार इस क्षेत्र में कंपनियों की तरफ से की गई खरीद के आधार पर उन्हें इंसेंटीव देने पर विचार कर रही है। साथ ही ये इंसेंटिव कम से कम 50 फीसदी और कुछ मामलों में 75 फीसदी खरीद घरेलू बाजार से ही करने पर मिलने का प्रावधान किया जा सकता है। यही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों का बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के मामले में भी इस स्कीम का इस्तेमाल किया जाएगा। घरेलू बाजार से इस क्षेत्र में भी 50 फीसदी खरीद करना अनिवार्य किया जा सकता है। सरकार चाहती है कि इस दिशा में भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बने साथ ही आयात निर्भरता कम की जा सके।
ऑटो क्षेत्र में बढ़ेगा निवेश
इस योजना से देश में न सिर्फ ऑटो क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा बल्कि बड़े पैमाने पर नौकरियों के भी मौके आएंगे। साथ ही देश में व्यापक लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उद्योग जगत का अनुमान है कि 2025-26 तक ऑटोमोबाइल क्षेत्र में दोगुने निर्यात की बढ़त सभव है। गाड़ियों के मामले में मौजूदा समय में निर्यात 19 अरब डॉलर और ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र में 30 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट हो रहा है। सरकार की व्यापक नीति से भारत इसमें बड़ा योगदान कर सकता है।
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