Budget 2021: कैशलेस इंडिया को सरकार देगी रफ्तार, बजट में ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा देने का ऐलान

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से देश का आम बजट पेश किया जा चुका है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021 को संसद में पेश किया. वहीं बजट के अपने पिटारे में वित्त मंत्री ने कई अहम ऐलान भी किए. इसके साथ ही सरकार का फोकस डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की तरफ भी दिखा.

सरकार की ओर से ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं बजट के माध्यम से सरकार ने इसके लिए राशि भी आवंटित की है. केंद्र सरकार ने देश में डिजिटिल लेनदेन को बढावा देने के लिए बजट में 1500 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव किया. उद्योग जगत का मानना है कि इससे छोटे शहरों में ई-भुगतान को बढावा मिलने के साथ ही फिनटेक फर्मों को नई पहल करने की प्रेरणा मिलेगी.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि पिछले कुछ समय में डिजिटल भुगतान में कई गुना इजाफा देखने को मिला है. उन्होंने 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा, ‘डिजिटल लेनदेन को और बढावा देने के लिए 1500 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव रखा है, जिससे डिजिटल भुगतान को बढावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा.’

पहल का स्वागत

वहीं इस पहल का स्वागत करते हुए भारतीय भुगतान परिषद के अध्यक्ष और इंफीबीम एवेन्यूज लिमिटेड के निदेशक विश्वास पटेल ने कहा कि इससे डिजिटल भुगतान को बढावा मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि इसका उपयोग सेवा प्रदाताओं को वर्ष 2020 में रूपे डेबिट कार्ड और यूपीआई के जरिए लेनदेन के निशुल्क प्रसंस्करण से हुए नुकसान की भरपाई और रिजर्व बैंक के जरिए बनाए गए भुगतान अवसंरचना विकास कोष (पीआईडीएफ) 500 करोड़ रूपये के कोष को बढ़ाने में किया जाएगा.’

उद्योग जगत का कहना है कि 2019 के बजट में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शून्य होने से वित्तीय तकनीक ढांचे पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. एमडीआर वह दर है जो बैंक डेबिट और क्रेडिट कोर्ड सेवा प्रदान करने के लिए दुकानदार या व्यवसायी पर लगाता है.

डिजिटल भुगतान में इजाफा

रेजरपे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह संस्थापक हर्षिल माथुर ने कहा कि 2020 में डिजिटल भुगतान में 80 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. खासकर दूसरे और तीसरे श्रेणी के शहरों में. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे भुनाने के लिए ई-भुगतान को बढावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है.

उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि ये कोष जीरो एमडीआर नीति के विकल्प के विकास और क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल भुगतान की दिशा में प्रयासों पर खर्च किए जाएंगे. इससे व्यवस्था में विश्वास बनेगा और डिजिटल भुगतान से हिचकितचाने वाले उद्यमी भी इसे अपनाने के लिए आगे आ सकेंगे.’

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