विधानसभा चुनाव 2021: वीके शशिकला के ‘वनवास’ से तमिलनाडु स्तब्ध, लेकिन AIADMK को होगा फायदा

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एक प्रेस रिलीज़ में वी.के. शशिकला – जिन्हें अक्सर भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता की सबसे करीबी सहयोगी कहा जाता है – ने दिनाकरण के दावों के विपरीत खुद को AIADMK का महासचिव नहीं बताया. दिनाकरण ने तो दरअसल कहा था कि वे (शशिकला तथा दिनाकरण) उन्हें (शशिकला को) पार्टी से निष्कासित किए जाने को कानूनी तौर पर चुनौती देने का इरादा रखते हैं.

साफ तौर से शशिकला की स्थिति नैतिक आधार पर बेहतर हुई है – न सिर्फ यह कहने से कि वह ‘राजनीति से दूर रहेंगी,’ बल्कि 6 अप्रैल को होने जा रहे चुनाव में AIADMK के हाथ में सत्ता बनी रहने की ‘प्रार्थना’ करने के लिए भी.

‘सत्ता के लोभी’ बताकर बदनाम किए गए शख्स के तौर पर शशिकला ने अपने बयान से संदेश दिया है कि वह AIADMK का शासन बना रहने के अम्मा (जयललिता) के सपने को सबसे ऊपर देखती हैं, चाहे वह उनकी खुद की राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं हों, या उनका परिवार (इस किस्से में भतीजा दिनाकरण).

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उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से अपने फैसले की वजहों का भी ज़िक्र किया है, और कहा है कि चुनाव से पहले AIADMK को एकजुट रहना होगा, ताकि पार्टी जयललिता के बाद भी सत्ता में बनी रह सके.

यही बात उन्होंने बेंगलुरू जेल – जहां वह भ्रष्टाचार के केस में चार साल की सज़ा काट रही थीं – से बाहर आते वक्त भी कही थी, और फिर सड़क मार्ग से कर्नाटक से तमिलनाडु पहुंची थीं. शशिकला ने अपने बयान में कहा, “जयललिता के सभी वास्तविक अनुयायियों को समझदारी से काम करना होगा, ताकि अम्मा के मुताबिक हमारे साझा दुश्मन DMK को सत्ता से दूर रखा जा सके…”

उन्होंने बयान में लिखा, “मैं कभी किसी उपाधि, पद या सत्ता के लिए लालायित नहीं रही… मै राजनीति से दूर रहूंगी, और ‘अक्का’ (बड़ी बहन) तथा परमात्मा से प्रार्थना करूंगी कि AIADMK का शासन बरकरार रहे…”

हैरान कर देने वाला यह कदम तब सामने आया है, जब BJP का केंद्रीय नेतृत्व – BJP तमिलनाडु में AIADMK के साथ गठबंधन में है – शशिकला और AMMK के साथ मिलकर काम करने के लिए AIADMK पर लगातार दबाव बना रहा है.

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री एदापद्दी के. पलानीस्वामी, या EPS, बार-बार ज़ोर देकर कहते रहे हैं कि शशिकला के लिए पार्टी के दरवाज़े बंद हो चुके हैं. बताया जाता है कि बुधवार सुबह, BJP ने यह फैसला EPS और उनके डिप्टी ओ. पन्नीरसेल्वम, या OPS, पर ही छोड़ दिया था.

दिलचस्प तथ्य यह है कि जयललिता के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदार और शशिकला के AIADMK प्रमुख होने के खिलाफ फरवरी, 2017 में सबसे पहले बगावत करने वाले OPS ही इस आइडिया के पक्ष में खुले दिमाग से सोचने वाले बताए जाते हैं.

शशिकला की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए AMMK नेता टी.टी.वी. दिनाकरण ने कहा कि उनकी आंटी को उम्मीद है कि उनके दूर रहने से पार्टी एकजुट रहेगी, जिससे AIADMK की सत्ता बरकरार रहने का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने पहले यह भी कहा था कि वह AIADMK में फिर शामिल होने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह पार्टी में लौटने पर नेतृत्व वाली भूमिका चाहेंगे.

जब से शशिकला जेल से बाहर आई हैं, वह EPS या उनकी आलोचना करने वाले किसी भी AIADMK नेता के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करने से बचती दिखी हैं. सो, उन्हें अम्मा की सरकार गिराने की साज़िश रचने वाले के तौर पर नहीं देखा जा सकता. उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं, जिनसे पता चलता है कि वह पार्टी को खुद या खुद की महत्वाकांक्षाओं से ऊपर रखती हैं.

जिस तरह जयललिता और शशिकला को देखा जाता था – जयललिता को पूजा जाता था, और शशिकला को खलनायक की तरह चित्रित किया जाने लगा था – आज की स्थिति में शशिकला खुद को गरिमामय बनाकर प्रस्तुत कर रही हैं, जिसे सत्ता का लालच नहीं, और जो पार्टी को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर रखती है.

हालांकि उनके भतीजे, जिन्होंने अपनी आंटी के तमिलनाडु की राजनीति में दोबारा प्रवेश की घोषणा करने के लिए भारी रोडशो आयोजित किया था, को जबाव की राजनीति करने वाले और महत्वाकांक्षी के रूप में देखा जाता है. आमतौर पर माना जाता है कि जयललिता ने ही दिनाकरण को AIADMK से दूर रखा था, लेकिन अब वह खुद को और शशिकला को जयललिता की विरासत के उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं.

EPS इस फैसले पर दृढ़ हैं कि शशिकला को AIADMK से दूर ही रखेंगे, तो अटकल चल रही है कि शशिकला की घोषणा के पीछे BJP का हाथ है, ताकि AIADMK के वोटों को बंटने से बचाकर DMK को शिकस्त देने पर फोकस किया जा सके, और टी.टी.वी. दिनाकरण को भी काबू में रखा जा सके.

पिछले कुछ दिनों में अभिनेता-राजनेता युगल शरत कुमार व राधिका सहित कई नेताओं ने शशिकला से मुलाकात की, लेकिन कसी नए गठबंधन की घोषणा नही की गई. शशिकला के लिए संभवतः यही सबसे अच्छा रहेगा कि वह शांत रहकर सब कुछ देखें और इंतज़ार करें – क्योंकि इस समय ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक AIADMK की पीठ दीवार से लगी है.

कांग्रेस नेता के.एस. अझागिरी का कहना है कि शशिकला के कदम ने BJP को चकराकर रख दिया है, क्योंकि अझागिरी के अनुसार, BJP को उम्मीद थी कि शशिकला के ज़रिये वे AIADMK और तमिलनाडु को काबू में रख सकेंगे.

वैसे, चुनाव के बाद शशिकला को राजनीति में दोबारा प्रवेश करने से कोई नहीं रोक सकता. इस वक्त अलग हट जाने के उनके फैसले का अर्थ होगा कि चुनाव में AIADMK की हार की स्थिति में उन्हें कोई दोष नहीं दे सकेगा. EPS के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी से हट जाने के बाद पार्टी पर प्रभुत्व बनाए रखना भी मुश्किल होगा. और यह शशिकला की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

अगर AIADMK-NDA जीत जाते हैं, तो शशिकला का खुद पर थोपा हुआ यह राजनैतिक वनवास लम्बा खिंच सकता है और उन्हें वापसी वार करने के लिए सही समय का इंतज़ार करना होगा. शशिकला के लम्बे राजनैतिक अनुभव को ध्यान में रखें, भले ही वह नेता की हैसियत में नहीं, बाहर से ही सब देख रही हैं, तो लगता है कि 66-वर्षीय नेता ने सोचा-समझा दांव खेला है.

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