Shani Sade Sati: धनु राशि वालों को कब मिलेगी शनि की साढ़े साती से मुक्ति? जानिए शनि राशि परिवर्तन की डेट और उपाय

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धनु राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का तीसरा यानी अंतिम चरण चल रहा है। शनि के राशि परिवर्तन करते ही धनु राशि वालों को शनि की साढ़े साती महादशा से छुटकारा मिल जाएगा। शनि की साढ़े साती के दौरान जातक को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। 23 मई 2021 को शनि के वक्री होने से शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या से पीड़ित राशियों के कष्ट और बढ़ गए हैं। 

शनि की साढ़े साती से धनु राशि वालों को साल 2022 में मुक्ति मिलेगी। शनि 29 अप्रैल 2022 को राशि परिवर्तन करते हुए मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करेंगे। जिससे धनु राशि वालों से शनि की साढ़े साती का प्रभाव खत्म हो जाएगा। लेकिन 12 जुलाई 2022 को शनि के वक्री होने से धनु राशि वाले एक बार फिर से शनि की साढ़े साती के चपेट में आ जाएंगे। शनि 12 जुलाई को वक्री अवस्था में मकर राशि में गोचर करेंगे। जिससे धनु राशि वालों पर प्रभाव पड़ेगा। 

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कब मिलेगी धनु राशि वालों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति?

धनु राशि वालों को शनि की साढ़े साती से साल 2023 में मुक्ति मिल जाएगी। इससे शनि के प्रभाव से रुके हुए कार्य पूरे होंगे। इसके साथ ही शारीरिक व मानसिक कष्ट भी कम होते जाएंगे।

शनि का कितने समय में होता है राशि परिवर्तन-

शनि एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई साल का वक्त लेते हैं। ऐसे में शनि को एक चक्र पूरा करने में करीब 30 साल का समय लगता है। शनि को सभी ग्रहों में धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है।

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शनि की साढ़े साती से बचाव के उपाय-

शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। कहा जाता है कि शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ऐसे में शनि की महादशा के दौरान गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए। शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हालांकि कोरोना काल में घर के मंदिर में ही हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। भगवान शिव की पूजा से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है। शनिवार के दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान करना लाभकारी साबित होता है। पीपड़ के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

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