कोरोना को मिलेगी मात: भारत को फ्रांस देगा ऑक्सीजन, अमेरिका ने वैक्सीन के लिए कच्चे माल का दिया भरोसा

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भारत में कोरोना की दूसरी लहर में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, स्थिति दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है। इसकी वजह से लाखों लोगों के जीवन पर संकट आ खड़ा हुआ है। वहीं ऑक्सीजन संकट की वजह से देश में हाहाकार मचा हुआ है। उसे लेकर दुनियाभर की नजरें भारत पर टिकी हैं और कई बड़े देशों ने मदद का हाथ भी बढ़ाया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत में कोरोना संकट को लेकर कहा कि ‘जिस तरह भारत ने अमेरिका को सहायता भेजी थी, जब हमारे अस्पतालों में महामारी की शुरुआत हुई थी। हम इस समय में भारत की मदद करने के लिए दृढ़ हैं।’

 

भारतीय मूल की अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि ‘अमेरिका कोरोना के खतरनाक प्रकोप के समय अतिरिक्त सहायता और आपूर्ति में तेजी करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है। हम सहायता प्रदान कर रहे हैं और साथ ही हम भारत के लोगों और वहां के साहसी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रार्थना करते हैं।

कोविशील्ड टीके का उत्पादन होगा तेज, अमेरिका तत्काल कच्चा माल देने को तैयार

कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने की राह से एक बड़ी बाधा रविवार को दूर हो गई। पिछले दो महीने से भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के कोरोना टीके कोविशील्ड को बनाने में काम आने वाले कच्चे माल की आपूर्ति रोक रहा अमेरिका अब इसे तत्काल उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है, जिससे टीका उत्पादन में तेजी आएगी और कम समय में ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जा सकेगा।

व्हाइट हाउस की महिला प्रवक्ता एमिली हॉर्न ने रविवार को कहा, बड़े पैमाने पर बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण से निपटने में भारत की मदद करने के लिए अमेरिका तत्काल कोविड-19 टीके के लिए कच्चा माल, मेडिकल उपकरण और चिकित्सकीय सुरक्षा उत्पाद उपलब्ध कराएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली ने कहा, अमेरिका अपने पास मौजूद संसाधनों और आपूर्ति को तत्काल भेजने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है।

उन्होंने बताया कि अमेरिका की तरफ से भेजी जाने वाली खेप में कोविशील्ड टीके के उत्पादन में आवश्यक कच्चे माल के अलावा कोरोना रैपिड जांच किट, वेंटिलेटर, अन्य चिकित्सकीय उपकरण और अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं के लिए पीपीई किट जैसे सुरक्षा उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा अमेरिका भारत को ऑक्सीजन उत्पादन व उससे जुड़ी सप्लाई भेजने के विकल्प भी तैयार कर रहा है।

एमिली ने कहा, वॉशिंगटन ने महामारी से निपटने में भारतीय विशेषज्ञों की मदद करने के लिए अपने सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के विशेषज्ञों की एक टीम भी भारत भेज रहा है। एमिली ने कहा कि महामारी के शुरुआती दौर में अमेरिका के अस्पतालों के संकट में फंसने के दौरान भारत ने मदद की थी। उसी तर्ज पर अमेरिका भी जरूरत के समय भारत की मदद के लिए प्रतिबद्ध है। 

डोभाल बने यहां भी मोदी सरकार के संकटमोचक

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिका से कोरोना टीके के कच्चे माल की राह प्रशस्त करने में अहम भूमिका निभाई। डोभाल के अपने अमेरिकी समकक्ष जैक सुलीवन के साथ इस मुद्दे पर टेलीफोन पर वार्ता की। सुलीवन ने भारत में महामारी के हालात को लेकर खेद जताया और अमेरिका की तरफ से पूरे सहयोग का वादा किया। इसके बाद ही अमेरिका की तरफ से तत्काल कच्चा माल व अन्य चिकित्सकीय मदद भेजने की घोषणा की गई। डोभाल इससे पहले भी कई मोर्चों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए संकटमोचक साबित हो चुके हैं।

बाइडन प्रशासन की हो रही थी आलोचना

दरअसल, पद संभालने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोरोना टीके के निर्माण में जरूरी कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके चलते सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में कोविशील्ड का निर्माण बेहद धीमा हो गया था। कंपनी के प्रबंध निदेशक अदार पूनावाला कई बार यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा चुके थे। इसके चलते भारत में चल रहा दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी धीमा पड़ गया था। इस पाबंदी को हटाने के लिए भारत सरकार की तरफ से अपील करने के अलावा बाइडन पर खुद उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर से भी दबाव बन रहा था और उनकी लगातार आलोचना की जा रही थी। इस दबाव के कारण भी अमेरिका टीका निर्माण के लिए कच्चा माल देने को मजबूर हुआ है।

फ्रांस चिकित्सा ऑक्सीजन सहायता देने को तैयार

फ्रांस ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए भारत को चिकित्सा ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने का एलान किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने रविवार को कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों से जूझ रहे भारत को फ्रांस आने वाले दिनों में मेडिकल ऑक्सीजन क्षमता के साथ उसकी मदद करने की योजना पर काम कर रहा है।

इसी के साथ ही जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और यूरोपीय संघ ने भारत को एक महामारी के खिलाफ मदद करने की योजना की घोषणा की है। इन देशों ने भारत में अस्पताल के बेड और मेडिकल ऑक्सीजन का भंडारण करने की योजना बनाई है।

जर्मन की चांसलर मैर्केल ने कहा कि भारत को मदद करने के लिए एक मिशन तैयार है। ट्विटर पर उनके प्रवक्ता स्टीफन सीबेरट द्वारा किए गए संदेश में कहा कि भारत के लोगों के लिए मैं उस भयानक पीड़ा पर अपनी सहानुभूति व्यक्त करना चाहती हूं जो कोविड की वजह से समुदायों पर आई है। साथ ही कहा महामारी के खिलाफ लड़ाई हमारी आम लड़ाई है। जर्मनी भारत के साथ एकजुटता से खड़ा है और तत्काल एक मिशन तैयार कर रहा है।

ब्रिटेन जल्द ही भारत भेजेगा 600 से ज्यादा वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसनट्रेटर

ब्रिटिश सरकार ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही भारत की लड़ाई में मदद के लिए वह जल्द ही 600 से ज्यादा अहम चिकित्सकीय उपकरण भेजेगा। इन उपकरणों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसनट्रेटर जैसे बेहद अहम उपकरण शामिल हैं। इन जीवनदायी उपकरणों का पहला बैच मंगलवार सुबह नई दिल्ली पहुंचने की संभावना है, जबकि बाकी उपकरण भी अगले सप्ताह में ही भारत पहुंच जाएंगे।

 

इस राहत पैकेज की फंडिंग ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल व विकास कार्यालय (एफसीडीओ) की तरफ से की जा रही है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, हम इस चिंताजनक समय में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ एक दोस्त व साझेदार के तौर पर बराबर में खड़े हुए हैं।

सैकड़ों ऑक्सीजन कंसनट्रेटरों व वेंटिलेटरों समेत अहम चिकित्सा उपकरण अब ब्रिटेन से भारत की राह पर हैं ताकि इस भयानक वायरस से जिंदगी के दुखद खात्मे को रोकने के भारतीय प्रयासों में मदद की जा सके। ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब ने कहा, नौ एयरलाइन कंटेनर राहत सप्लाई से भर दिए गए हैं, जिनमें 495 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर और 120 नॉन इन्वेंसिव वेंटिलेटर व 20 मैनुअल वेंटिलेटर हैं। इन्हें ब्रिटेन से अगले सप्ताह भारत भेजा जाएगा।

यूरोपीय संघ ने भी बढ़ाया मदद का हाथ

यूरोपीय संघ (ईयू) ने रविवार को कहा कि वह कोविड-19 से लड़ने में भारत की तेजी से मदद के लिए संसाधन जुटा रहा है। इस 27 देशों के शक्तिशाली समूह के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईयू ने पहले ही अपनी नागरिक रक्षा प्रणाली को सक्रिय कर दिया है ताकि भारत को तत्काल ऑक्सीजन और दवा आपूर्ति सहित अन्य मदद की जा सके।

इस प्रणाली के तहत ईयू समूह यूरोप और इससे परे आपात स्थिति से निपटने के लिए जरूरी समन्वय में केंद्रीय भूमिका निभाता है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन ने कहा कि ईयू भारत के लोगों के साथ ‘पूरी एकजुटता’ के साथ खड़ा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत में महामारी की चिंताजनक स्थिति में हम समर्थन के लिए तैयार हैं। ईयू भारत के अनुरोध पर त्वरित मदद पहुंचाने के लिए ईयू नागरिक रक्षा प्रणाली के जरिये संसाधन जुटा रहा है। 

इसके साथ ही ईरान, रूस, ऑस्ट्रेलिया, भूटान और यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों ने भारत को मदद करने का भरोसा दिया है। भारत में रविवार को कोरोना के 3,49,691 नए मामले दर्ज किए गए। पिछले साल महामारी के बाद से एक दिन में इतनी संख्या में पहली बार मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, रविवार को देश में 2,767 नई मौतें दर्ज की गईं।



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