पंजाब: सिद्धू ने बजा ही दी कांग्रेस की ईंट से ईंट, 68 दिन की अध्यक्षी में एक सरकार गिराई, दूसरी बनवाई, अब खुद छोड़ा साथ

हर्ष कुमार सलारिया, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Wed, 29 Sep 2021 12:45 AM IST

सार

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू पर पूरा भरोसा है। यह पूछे जाने पर कि क्या सिद्धू अफसरशाही व्यवस्था और कैबिनेट विस्तार में अपने आदेश का पालन न होने से नाराज हैं, चन्नी ने कहा कि अगर वह परेशान है तो इसे सुलझा लिया जाएगा… हालांकि वह मुझसे परेशान नहीं हैं।

पंजाब कांग्रेस में घमासान।
– फोटो : अमर उजाला

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नवजोत सिंह सिद्धू ने आखिरकार पंजाब कांग्रेस की ईंट से ईंट बजा ही दी है। प्रदेश प्रधान के पद पर 68 दिन रहने के दौरान उन्होंने कैप्टन की सरकार गिराई और नई कांग्रेस सरकार बनवाई। पार्टी में उठापटक की इन दो उपलब्धियों के बाद जब यह महसूस किया जाने लगा कि प्रदेश कांग्रेस में अब सब कुछ ठीक होने लगा है तो सिद्धू ने मंगलवार को एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया।

सिद्धू को प्रदेश प्रधान की कुर्सी सौंपी गई तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कामकाज पर निरंतर उंगली उठानी शुरु कर दी थी, नतीजतन पार्टी में ही सिद्धू की आलोचना भी होने लगी और उन्हें सोच-समझ कर बोलने की हिदायत भी दी गई लेकिन सिद्धू ने तब हाईकमान को ही चेतावनी दे दी थी कि अगर उन्हें अपने तरीके से काम करने से रोका गया तो वह ईंट से ईंट बजा देंगे।

आखिरकार सिद्धू अपनी रणनीति में सफल रहे। पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को विश्वास में लेकर सिद्धू ने पहले तो कैप्टन की सरकार गिराई और उसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में नई कांग्रेस सरकार के गठन में अहम भूमिका भी निभाई। बीते रविवार को पंजाब राजभवन में सिद्धू प्रदेश के नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भी मौजूद रहे लेकिन मंगलवार को जब मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों के विभागों का एलान किया तो दोपहर में सिद्धू के इस्तीफे की खबर आ गई।

सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी न छोड़ते हुए केवल प्रदेश अध्यक्ष पद से ही इस्तीफा दिया है लेकिन उनके इस्तीफे को लेकर कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि चन्नी को मुख्यमंत्री बनवाने में जो अहम भूमिका उन्होंने निभाई थी, उसी का परिणाम था कि वह विभिन्न जिलों में आयोजित समारोहों में चन्नी का हाथ पकड़े उन्हें अपने साथ लेकर चलते दिखाई दे रहे थे लेकिन ऐसा ज्यादा दिन चल नहीं सका और चन्नी ने राज्य के डीजीपी, एडवोकेट जनरल के पदों पर नियुक्ति में सिद्धू की सलाह को नजरअंदाज कर दिया।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके बाद गृह विभाग सुखजिंदर सिंह रंधावा को सौंपने के साथ ही सिद्धू ने मान लिया कि चन्नी सरकार में उनकी नहीं चलेगी। दरअसल, विधायक दल के नेता के रूप में पूर्व पार्टी प्रधान सुनील जाखड़ को दौड़ से बाहर करने के बाद रंधावा ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश किया था। इस कारण सिद्धू अपना दावा पेश करने से चूक गए फिर भी उन्होंने रंधावा को साइडलाइन करते हुए चन्नी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था।

सिद्धू ने इस्तीफे में यह लिखा
अंग्रेजी में अपने लैटरहेड पर लिखे इस्तीफा पत्र में सिद्धू ने लिखा- वह पंजाब की भलाई और पंजाब के भविष्य के एजेंडे के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं कर सकते। समझौते से ही आदमी का पतन शुरु होता है। इसलिए मैं प्रदेश कांग्रेस प्रधान के तौर पर इस्तीफा दे रहा हूं। मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा।

मैंने पहले कहा था, सिद्धू स्थिर व्यक्ति नहीं है: कैप्टन
नवजोत सिद्धू के इस्तीफे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मैंने आपको पहले ही कहा था कि वह (नवजोत सिद्धू) एक स्टेबल (स्थिर) आदमी नहीं है और वह सरहदी राज्य पंजाब के अनुकूल नहीं है।

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नवजोत सिंह सिद्धू ने आखिरकार पंजाब कांग्रेस की ईंट से ईंट बजा ही दी है। प्रदेश प्रधान के पद पर 68 दिन रहने के दौरान उन्होंने कैप्टन की सरकार गिराई और नई कांग्रेस सरकार बनवाई। पार्टी में उठापटक की इन दो उपलब्धियों के बाद जब यह महसूस किया जाने लगा कि प्रदेश कांग्रेस में अब सब कुछ ठीक होने लगा है तो सिद्धू ने मंगलवार को एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया।

सिद्धू को प्रदेश प्रधान की कुर्सी सौंपी गई तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कामकाज पर निरंतर उंगली उठानी शुरु कर दी थी, नतीजतन पार्टी में ही सिद्धू की आलोचना भी होने लगी और उन्हें सोच-समझ कर बोलने की हिदायत भी दी गई लेकिन सिद्धू ने तब हाईकमान को ही चेतावनी दे दी थी कि अगर उन्हें अपने तरीके से काम करने से रोका गया तो वह ईंट से ईंट बजा देंगे।

आखिरकार सिद्धू अपनी रणनीति में सफल रहे। पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को विश्वास में लेकर सिद्धू ने पहले तो कैप्टन की सरकार गिराई और उसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में नई कांग्रेस सरकार के गठन में अहम भूमिका भी निभाई। बीते रविवार को पंजाब राजभवन में सिद्धू प्रदेश के नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भी मौजूद रहे लेकिन मंगलवार को जब मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों के विभागों का एलान किया तो दोपहर में सिद्धू के इस्तीफे की खबर आ गई।

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