राजस्थानः सात साल पुराने आतंकवाद से जुड़े मामले में 12 छात्रों को आजीवन कारावास की सजा

0
16
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

डिजिटल डेस्क, जयपुर। जयपुर की ज़िला अदालत ने सात साल पहले चरमपंथी गतिविधियों में गिरफ्तार 13 में से 12 इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को मंगलवार को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ये सभी सिमी के सदस्य हैं। साथ ही इनमें से एक अभियुक्त जोधपुर निवासी मशरफ इकबाल पुत्र छोटू खां को बरी कर दिया गया है।

मामले में 28 मार्च, 2014 को एटीएस ने मामला दर्ज किया था। इन सभी को चरमपंथी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करने के आरोप में एटीएस और एसओजी ने गिरफ्तार किया था। आतंकी करार दिए गए 12 अभियुक्तों में से एक बिहार, एक जयपुर, एक पाली, तीन जोधपुर और 6 सीकर के हैं। ये सभी इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे। इन पर आरोप था कि ये प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े हैं और राजस्थान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बम बनाने जैसे कामों में लगे हैं।

कोर्ट ने इन्हें आतंकी करार दिया

  1. मोहम्मद अम्मार यासर पुत्र मोहम्मद फिरोज खान, उम्र 22 साल, निवासी काजी मोहल्ला शेरघाटी, गया (बिहार)
  2. मोहम्मद सज्जाद पुत्र इकबाल चौहान (32), अन्जुम स्कूल के पास, मोहल्ला कुरैशीयान, सीकर
  3. मोहम्मद आकिब पुत्र अशफाक भाटी (22), मोहल्ला जमीदारान वार्ड 13, सीकर
  4. मोहम्मद उमर पुत्र डॉ. मोहम्मद इलियास (18), जमीदारान वार्ड 2, सीकर
  5. अब्दुल वाहिद गौरी पुत्र मोहम्मद रफीक (26), मोहल्ला कुरैशियान, वार्ड 31, सीकर
  6. मोहम्मद वकार पुत्र अब्दुल सत्तार (22), मोहल्ला रोशनगंज, वार्ड 13, सीकर
  7. अब्दुल माजिद उर्फ अद्दास पुत्र असरार अहमद (21), मोहल्ला जमीदारान वार्ड 12, सीकर
  8. मोहम्मद मारुफ पुत्र फारुक इंजीनियर, डी 105, संजय नगर, झोटवाड़ा, जयपुर
  9. वकार अजहर पुत्र मोहम्मद तस्लीम रजा, 20 पुराना चूड़ीघरों का मोहल्ला, पाली
  10. बरकत अली पुत्र लियाकत अली (28), मकान नं 8, हाजी स्ट्रीट, शान्तिप्रिय नगर, जोधपुर
  11. मोहम्मद साकिब अंसारी पुत्र मोहम्मद असलम (25), ए 45, बरकतुल्ला कॉलोनी, जोधपुर
  12. अशरफ अली खान पुत्र साबिर अली (40), 653, लायकान मोहल्ला, जोधपुर

जयपुर में बम ब्लास्ट की रैकी की थी
साल 2011 में दिल्ली में गिरफ्तार हुए मोहम्मद वकास, यासीन भटकल समेत अन्य ने जयपुर में इन्हें बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी, जिसके बाद साल 2014 में इन्हें जयपुर के प्रताप नगर और सीकर में किराये के मकान से गिरफ्तार किया गया। इन पर आरोप था कि इन्होंने जयपुर और कई जगहों पर बम ब्लास्ट के लिए रेकी भी की थी, लेकिन इससे पहले ही इन्हें दिल्ली से मिले इनपुट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में सात साल से कोर्ट में ट्रायल चल रहा था, इस केस में अभियोजन पक्ष ने 175 गवाह और 506 डॉक्यूमेंट एविडेंस कोर्ट में पेश किए थे।

तब ATS ने यह भी दावा किया था कि सिमी की स्लीपर सेल को एक्टिव करने के लिए जयपुर से गिरफ्तार हुए मारुफ के रिश्तेदार उमर ने इंटरनेट के जरिए संपर्क कर इन युवकों को संगठन से जोड़ा था। इसके बाद ये युवक एक्टिव होकर आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गए। ये किसी साजिश को अंजाम दे पाते, इससे पहले ही ATS और SOG ने स्लीपर सेल से जुड़े इन 13 युवकों को पकड़ लिया। इस मामले में पिछले सात साल से कोर्ट में ट्रायल चल रहा था। इस केस में अभियोजन पक्ष ने 178 गवाह और 506 डॉक्यूमेंट्री एविडेंस कोर्ट में पेश किए।

इन मामलों में दोषी पाए गए
ये आतंकी फर्जी दस्तावेजों से सिम खरीदने, जिहाद के नाम पर फंड जुटाने, आतंकियों को शरण देने और बम विस्फोट के लिए रेकी करने जैसे मामलों में दोषी पाए गए हैं। यह भी सामने आया है कि ये गोपालगढ़ में हुई पुलिस फायरिंग से भी बौखलाए हुए थे। ​ATS ने इनके पास से लैपटॉप, फोन, पेन ड्राइव, किताबें, दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद किया था। दिल्ली ATS की सूचना पर राजस्थान ATS ने 28 मार्च 2014 को इस मामले में FIR दर्ज की थी।

    Source link

    कोई जवाब दें

    Please enter your comment!
    Please enter your name here