रॉकेट साइंटिस्ट डेवलप कर रहे सड़क, इस पर चलते-फिरते चार्ज हो सकेंगे इलेक्ट्रिक वाहन

0
33
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

इलेक्ट्रिक वाहनों की जब भी बात आती तो एक बात हम सभी को परेशान करती है, वह रेंज की चिंता, जो सीधे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से संबंधित है. लेकिन अगर ईवीएस को चलते समय चार्ज किया जा सके सो यह कैसा होगा? क्या होगा यदि सड़कें स्वयं ईवी चार्जर के रूप में कार्य कर सकें? क्या यह संभव हो है.
  
कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक ग्रुप ने सुझाव दिया है और यह संभव है कि चलते समय इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों से चार्ज किया जा सकता है, जो न केवल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करेगा बल्कि दूरी की चिंता को कम करेगा. इस ग्रुप को खुर्रम अफरीदी लीड कर रहे हैं.
 
टेक्नोलॉजी को लागू करने बड़ी चुनौती
इस प्रोससे में उपयोग की जाने वाली तकनीक इंडेक्टिव चार्जिंग है जो कि कोई नई बात नहीं है. कम से कम उन वाहन निर्माताओं के लिए नहीं जो अपने वाहनों में स्मार्टफोन को वायरलेस तरीके से चार्ज करने की इजाजत दे रहे हैं. वाहन में स्मार्टफोन की वायरलेस चार्जिंग की तरह वाहन को चार्ज करने के लिए सड़कों पर विशाल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए टेक्नोलॉजी को अप्लाई करना चुनौती है.

इस तकनीक का उपयोग कोई नई बात नहीं है, क्योंकि इसका टेस्ट कैलिफोर्निया में 1980 के दशक में भी किया गया था. हालांकि अल्टरनेटिव मैग्नेटिक फील्ड   के लिए महंगे हार्डवेयर की जरूरत होती है, जो इसके द्वारा प्रोवाइड की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा से अधिक ऊर्जा की डिमांड करता है. 
 
जेट प्रोपल्शन लैब के एक्सीरयंस से विकसित की तकनीक
हालांकि, कॉर्नेल के शोधकर्ताओं ने नासा की जेट प्रोपल्शन लैब के अनुभव का इस्तेमाल करके तकनीक विकसित की है. इसमें मैग्नेटिक फील्ड के बजाए हाई फ्रेक्वेंसी इलेक्ट्रिक फील्ड का इस्तेमाल होता है. इस तकनीक के बारे में दावा किया जाता है कि यह 18 सेंटीमीटर तक ग्राउंड क्लीयरेंस वाले वाहनों को वायरलेस चार्जिंग की अनुमति देती है. इसमें सड़क चार्जिंग प्लेट का उपयोग होता है जिसे दस फीट की दूरी पर लगाया जा सकता है,  जो ईवी को सड़क पर चलाने के समय पावर ट्रांसफर कर देगा.
 

चार से पांच घंटे में चार्ज करने का दावा

शोधकर्ताओं का दावा है कि हाई-फ़्रीक्वेंसी चार्जिंग तकनीक निसान लीफ को चार से पांच घंटे में चार्ज कर देगी. टेस्ला जैसी बड़ी बैटरी वाली इलेक्ट्रिक कार को पूरी तरह चार्ज होने में अधिक समय लगेगा. यह चार्जिंग तकनीक बहुत दिलचस्प लगती है, इसे स्थापित करने के लिए एक भारी और बहुत महंगे इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी. टेक्नोलॉजी अभी भी रिसर्च और डेवलपमेंट के फेड में है और यह तय नहीं है इसका कार्यान्वयन कब होगा

यह भी पढ़ें-
देश में सबसे ज्यादा पसंद की जा रही हैं ये सनरूफ कारें, 10 लाख रुपये तक है कीमत

शानदार फीचर्स के साथ मिल रहे हैं ये Electric Scooter,जानिए कीमत

Source link

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here