जीवन में एक बार अवश्य करना चाहिए भगवान श्रीगणेश को समर्पित यह व्रत 

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श्री गणेश चतुर्थी व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाता है। भगवान श्री गणेश को समर्पित यह व्रत संकष्टी चौथ नाम से जाना जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा की जाती है। संतान सुख प्राप्ति के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है।

भगवान श्रीगणेश विघ्नहर्ता हैं। भगवान श्रीगणेश को समर्पित इस व्रत के पालन से जीवन की समस्त समस्याएं दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि सभी गृहस्थों को जीवन में कम से कम एक बार इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में कोई बाधा नहीं आती और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। भगवान श्री गणेश की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य में स्वाभाविक रूप से ज्ञान प्रवाहित होता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए पुरुष या स्त्री समान रूप से इस व्रत को कर सकते हैं। व्रती को पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। शाम के समय व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए। यह व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहता है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। इस दिन भगवान श्रीगणेश का व्रत-पूजन करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख शांति के लिए भगवान श्रीगणेश पर बेलपत्र अर्पित करें। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा कर, उन्हें तिल और गुड़ का भोग लगाएं। पूजा के बाद लड्डू का प्रसाद अर्पित करें। 

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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