अंडमान सागर में पकड़े गए रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश ने अपनाने से किया इनकार, कहा- ये हमारी जिम्मेदारी नहीं

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश ने कहा है कि अंडमान सागर में पकड़े गए 80 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों को अपने यहां शरण देने की उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। ये रोहिंग्या शरणार्थी दो हफ्ते पहले बांग्लादेश से नाव पर चले थे और बाद में इन्हें भारतीय कोस्टगार्ड ने पकड़ लिया था। लेकिन, भारत का इन्हें अपने यहां शरण देने का कोई इरादा नहीं है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा है कि हर रोहिंग्या को अपने यहां बसाना उनके देश की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ये शरणार्थी म्यांमार के हैं। उन्होंने कहा कि म्यांमार या भारत को इन्हें अपने यहां लेना चाहिए। म्यांमार से भागने के बाद 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में भीड़भाड़ वाले कैंपों में रह रहे हैं।

भारत का इन्हें अपने यहां रखने का कोई इरादा नहीं 
भारतीय कोस्ट गार्ड ने पूरी तरह से लोगों से भरी हुई एक मछली पकड़ने की नाव को पकड़ा था। इसमें जीवित लोगों के साथ ही 8 मरे हुए लोग भी मिले थे। भारतीय अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया था कि वे कोशिश कर रहे हैं कि बांग्लादेश इन लोगों को अपने यहां शरण दे। हालांकि, भारत इन शरणार्थियों को खाना और पानी दे रहा है, लेकिन उसका इन्हें अपने यहां रखने का कोई इरादा नहीं है।

म्यांमार इन रोहिंग्या शरणार्थियों का मूल देश: बांग्लादेश
मोमेन ने समाचार एजेंसी रॉयर्टस को शुक्रवार को देर शाम बताया कि बांग्लादेश को उम्मीद है कि भारत या म्यांमार इन्हें अपने यहां स्वीकार करेगा। म्यांमार इन रोहिंग्या शरणार्थियों का मूल देश है। मोमेन ने बताया कि ये बांग्लादेश के नागरिक नहीं हैं, बल्कि ये म्यांमार के हैं। इन्हें बांग्लादेश की समुद्री सीमा से 1,700 किमी दूर पाया गया है और ऐसे में इन्हें लेने की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।

10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कैंपों में रह रहे
म्यांमार के करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कैंपों में रह रहे हैं। 2017 में म्यांमार की सेना के रोहिंग्या मुसलमानों के ऊपर जानलेवा हमले करने के चलते लाखों की तादाद में रोहिंग्या म्यांमार से भाग गए थे। मानव तस्करी में शामिल अपराधी अक्सर रोहिंग्या शरणार्थियों को मलेशिया जैसे दक्षिण एशियाई देशों में काम दिलाने का वादा करते हैं। युनाइटेड नेशंस की शरणार्थियों के लिए बनी एजेंसी यूएनएचसीआर ने गायब हुई बोट को लेकर चिंता जताई थी।

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