Amalaki Ekadashi 2021: आमलकी एकादशी व्रत रखना क्यों होता है जरूरी, नोट कर लें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन-विधि व मंत्र

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आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शास्त्रों में भी आमलकी एकादशी का महत्व वर्णित है। यह एकादशी होली से पहले आती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं।

आमलकी एकादशी कब है?

आमलकी एकादशी को आंवला एकादशी के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, आमलकी एकादशी हर साल शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इस साल आमलकी एकादशी 25 मार्च को है।

आमलकी एकादशी का महत्व-

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आमलकी एकादशी पूजा विधि-

 -भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। सबसे पहले वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।
– पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
– कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।  
– अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।  
– रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। 
– द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें साथ ही परशुराम की मूर्तिसहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इन क्रियाओं के पश्चात परायण करके अन्न जल ग्रहण करें।  

आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त-

पारणा मुहूर्त- 26 मार्च को 06:18:53 से 08:46:12 तक।
अवधि-2 घंटे 27 मिनट

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आमलकी एकादशी मंत्र-

‘मम कायिकवाचिकमानसिक 
सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित 
क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त 
फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति 
कामनायै आमलकी 
एकादशी व्रतमहं करिष्ये’

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