खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर-मार्च 2016-20 के बीच औसतन 4% के नीचे रही: रिपोर्ट

Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर 2016 से मार्च 2020 की अवधि में औसतन 3.9 प्रतिशत रही, जो चार प्रतिशत के लक्ष्य से कम है। इसे रिजर्व बैंक अपनी उपलब्धि मान सकता है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि पांच साल बाद रिजर्व बैंक एक बार फिर अपनी मौद्रिक नीति व्यवस्था की समीक्षा करने जा रहा है। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति 31 मार्च तक नीतिगत ढांचे और मुद्रास्फीति लक्ष्य की समीक्षा करने की तैयारी में हैं। जून 2016 में रिजर्व बैंक को इस संबंध में पहली बार मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत की घटबढ़ के साथ चार प्रतिशत पर स्थिर रखने का काम दिया गया था। उसके बाद यह पहली बार होगा जब रिजर्व बैंक इसकी समीक्षा करेगा। 

यह भी पढ़ें: महंगाई की मार: खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 5.03 प्रतिशत पर पहुंची

बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्युरिटीज ने रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि इस दौरान न केवल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति औसतन 3.9 प्रतिशत न केवल चार प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में रही बल्कि इस दौरान उसमें उतार – चढ़ाव भी घट कर1.4 अंक के दायरे में रहा। ये आंकड़े अक्टूबर 2016 से मार्च 2020 की अवधि के हैं। इससे पहले 2012 से 2016 के दौरान मुद्रास्फीति में धटबढ का दायरा 2.4 तक रहा था। 

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज के अर्थशास्त्री इंद्रनिल सेन गुप्ता और आस्थ गुडवानी ने एक नोट में शुक्रवार को कहा कि उनका मानना है कि अगले वित्त वर्ष 2021- 22 में सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4.6 प्रतिशत पर रहेगी जो कि चालू वित्त वर्श 2020-21 के 6.2 प्रतिशत से कम होगी। इस प्रकार यह रिजर्व बैंक के मौजूदा तय दायरे 2 से 6 प्रतिशत के भीतर ही रहेगी। 

 

Source link

Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp
Previous articleInd vs Eng 1st T20: Jasprit Bumrah को पछाड़कर भारत के लिए ये बड़ा रिकॉर्ड बना देंगे Yuzvendra Chahal