कोरोना से बाजार और सामान्य नागरिक सभी बुरी तरह से प्रभावित हैं। नौकरी पेशा और मिडिल क्लास को नए बजट से काफी उम्मीदें थी। हर कोई यह सोच रहा था कि नए बजट (2021-22) के टैक्स स्लैब में छूट रहेगी। सीनीयर सिटीजन (75+) को छोड़ दिया जाए तो किसी भी प्रकार की छूट टैक्स स्लैब में नहीं दी गई। हालांकि टैक्स पेयर्स के पास दो विकल्प हैं कि इस वित्तीय वर्ष (2020-21) में कोई एक चुन सकते हैं। अगर टैक्सपेयर्स मौजूदा टैक्स स्लैब चुनता है तो उसे इनकम टैक्स नियमावली में 80 सी, 80 डी के तहत मिल रही छूट उसके लिए उपलब्ध रहेगी।
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वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए टैक्स स्लैब
2.50 लाख से तक – 00
2.50 लाख से 5.0 लाख तक – 5%
5 लाख से 7.50 लाख तक- 10%
7.50 लाख से 10 लाख तक- 15%
10 लाख से 12.50 लाख तक – 20%
12.50 से 15 लाख तक – 25%
15 लाख से ऊपर- 30%
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि नए टैक्स स्लैब में ईपीएफ, पीपीएफ, घर का किराया, फूड कूपंस पर मिलने वाली छूट नहीं मिलेगी। केवल इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सीसीडी (2) यानी की नियोक्ता के योगदान पर छूट रहेगी। अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत ही क्लेम किया जा सकता है।
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कौन सा स्लैब आपके लिए बेहतर
अगर आप कन्फ्यूज हैं कि कौन सा स्लैब आपके लिए बेहतर रहेगा। तो ऐसी स्थिति में आप 4 प्रतिशत का सेस जोड़कर कैलकुलेट कर लें। जहां आपको कम टैक्स भुगतान करना पड़े वह बेहतर है। वहीं एक्सपर्ट की मानें तो 2.5 लाख से अधिक कि छूट क्लेम करने पर नए स्लैब की तरफ जाने का कोई फायदा नहीं होगा।
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नए टैक्स स्लैब चुनते वक्त ध्यान रखने वाली बातें
इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार ऐसा व्यक्ति जो सैलरी या पेंशन पर निर्भर है। वह नए स्लैब और पुराने स्लैब में से कोई भी चुन सकते हैं। ऐसे में अगले वित्त वर्ष के लिए भी विकल्प टैक्स स्लैब चुनने का विकल्प रहेगा। लेकिन अगर व्यक्ति के इनकम का स्त्रोत बिजनेस से है तो ऐसे में वह अगर नया स्लैब चुनता है तो वह फिर वापस नहीं आ सकता। आने वाले वित्तीय वर्ष में उसे वही बरकरार रखना पड़ेगा। ऐसे व्यक्ति जिनकी आय 5 लाख से कम है वह कोई भी टैक्स स्लैब चुने उनको भुगतान नहीं करना होगा। वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई बुनियादी छूट उपलब्ध नहीं है।
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