Shani Sade Sati: शनि की साढ़ेसाती से मकर राशि वालों को कब मिलेगी मुक्ति? जानें शनि के दूसरे चरण का असर व उपाय

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शनि वर्तमान में अपनी स्वराशि मकर में विराजमान हैं। शनि ने 24 जनवरी 2020 को मकर राशि में गोचर किया था। यह 29 अप्रैल 2022 तक इसी राशि में रहेंगे, इसके बाद कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे। मकर राशि में शनि के गोचर करने के कारण मकर समेत कुंभ और धनु राशि पर शनि की साढ़े साती महादशा चल रही है। शनि एक अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी गति से चलता है, जिसके कारण शनि का प्रभाव एक राशि पर ज्यादा समय तक रहता है। शनि को राशि परिवर्तन करने में करीब ढाई साल का समय लगता है, जबकि एक चक्र पूरा करने में करीब 30 साल का समय लगता है। जानिए मकर राशि वालों को शनि की साढ़े साती से कब मिलेगी मुक्ति-

मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती 29 मार्च 2025 तक चलेगी। मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है। शनि की साढ़े साती महादशा के दौरान आपके कार्यों बाधाएं आएंगी लेकिन काम रुकेगा नहीं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस समय शनि सूर्य के नक्षत्र में हैं। शनि की साढ़े साती के दौरान कुछ बड़े फैसले लेने में परेशानी हो सकती है। विदेश यात्रा या विदेश संबंधित कार्यों में सफलता हासिल करेंगे।

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मकर राशि वालों की आर्थिक स्थिति-

शनि की साढ़े साती दशा के दौरान आर्थिक मामलों में संयम बनाकर रखें। भविष्य के लिए रखे पैसे भी खर्च हो सकते है। लग्न राशि में शनि के विराजमान होने के कारण आपको मेहनत से सफलता हासिल होगी। आपके कार्य में भी परिवर्तन हो सकता है। नौकरी में बदलाव भी संभव है।

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स्वास्थ्य- 

साढ़े साती के दौरान सेहत को लेकर थोड़ा सजग करने की जरूरत है। अगर पहले से कोई शारीरिक कष्ट है तो थोड़ा ध्यान रखें। सहज स्थान पर शनि की दृष्टि होने के कारण आलस के कारण कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।

शनि की साढ़े साती से बचाव के उपाय-

शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हालांकि कोरोना काल में घर के मंदिर में ही हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। भगवान शिव की पूजा से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है। शनिवार के दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान करना लाभकारी साबित होता है। पीपड़ के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।) 

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